एडुज्ञानम पर आज हम आपको बताएंगे स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े कई प्रोफेशन. इस लिस्ट में पहला प्रोफेशन है फिजियोथेरेपिस्ट का.

यह एक हेल्थकेयर प्रोफेशन है, जिसमें शरीर के अक्षम या चोटिल हो चुके अंगों को दोबारा ठीक करने, गति प्रदान करने का काम किया जाता है. इसमें फिजियोथेरेपिस्ट तरह-तरह की मसाज, एक्सरसाइज और कुछ उपकरणों की मदद से ऊष्मा, रेडिएशन, पानी, इलेक्ट्रिकल एजेंट्स आदि के जरिए क्षतिग्रस्त मांसपेशियों, जोड़ों और हड्डियों को ठीक करने का काम करता है.

फिजियोथेरेपिस्ट किसी भी अस्पताल में रोजगार पा सकते हैं, चाहे वह आईसीयू हो या फिर जेरीएट्रिक्स. इसमें अच्छी तरक्की संभव है.

इसके लिए 4 वर्षीय बैचलर कोर्स इन फिजियोथेरेपी (बीपीटी) कराया जाता है, जिसमें 6 महीने की इंटर्नशिप भी होती है.

ऑक्युपेशनल थेरेपी

इस सूची में दूसरा नाम है ऑक्युपेशनल थेरेपी का. इस थेरेपी के जरिए अस्वस्थ मरीजों को शारीरिक तौर पर स्वस्थ और आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जाता है. इसके जरिये बच्चों में कॉग्निटिव, फिजिकल और मोटर स्किल्स विकसित की जाती हैं.

इसके लिए ऑक्युपेशनल थेरेपी में बीएससी में 4 वर्षीय कोर्स कराया जाता है.

ऑक्युपेशनल थेरेपिस्ट अस्पताल, रिहेबिलिटेशन सेंटर, डायग्नोस्टिक सेंटर आदि में रोजगार पाते हैं. आप चाहें तो स्वतंत्र काम भी कर सकते हैं.

प्रोस्थेटिक और ऑर्थोटिक इंजीनियरिंग

इसमें शरीर के बेकार हो चुके अंगों के लिए कृत्रिम अंगों के उत्पादन का काम किया जाता है.

इस कोर्स को करने के बाद अस्पताल, रिहेबिलिटेशन सेंटर, डायग्नोस्टिक सेंटर, पॉलीक्लिनिक्स आदि में रोजगार मिलता है.

इसके तहत प्रोस्थेटिक या ऑर्थोटिक इंजीनियरिंग (डीपीओई) में डिप्लोमा कराया जाता है. इस कोर्स की अवधि साढ़े चार साल की है.

नर्सिंग

इसी सूचि में अगला प्रोफेशन है नर्सिंग का. नर्स मूल रूप से डॉक्टरों को मदद करती हैं. उनके जिम्मे कई काम होते हैं, मसलन वे मरीजों को दवाएं देती हैं, इंजेक्शन लगाती हैं, ड्रेसिंग करती हैं और सर्जरी में डॉक्टरों की मदद करती हैं.

इस प्रोफेशन में अपार संभावनाएं हैं, क्योंकि इस कोर्स को करने के बाद अस्पताल, नर्सिंग होम, स्कूल, इंडस्ट्री और प्राइवेट मेडिकल क्लिनिक्स में रोजगार की अच्छी संभावनाएं हैं. डिफेंस फोर्स में भी मौका मिल सकता है.

बीएसई नर्सिंग में 4 वर्षीय कोर्स कराया जाता है. जनरल नर्सिंग और मिडवाइफरी (जीएनएम) का कोर्स साढ़े तीन साल का होता है. ऑग्जिलरी नर्स मिडवाइफ(एएनएम) का कोर्स डेढ़ साल का होता है, वहीं हेल्थ वर्कर(महिला) के लिए 18 महीने का कोर्स होता है.

पैरा मेडिकल

पैरा मेडिकल साइंस में रेडियोग्राफी/एक्सरे टेक्नोलॉजी, मेडिकल लेबोरेटरी टेक्नोलॉजी, ऑडियोलॉजी एंड स्पीच थेरेपी, डेंटल हाइजीन, ऑपरेशन थियेटर असिस्टेंस, ऑप्टोमिट्री एंड ऑप्थेल्मिक असिस्टेंस जैसी चिकित्सकीय सेवाएं आती हैं, जिससे जुड़े कोर्स किए जा सकते हैं.

पैरामेडिकल साइंस एक तरह से मेडिकल साइंस के लिए आधार का काम करती है. पैरामेडिकल साइंस के तहत कई विषय आते हैं, जैसे कि स्पाइनल इंजरी मैनेजमेंट, फ्रेक्चर मैनेजमेंट, ऑब्स्टेट्रिक्स, मैनेजमेंट ऑफ बन्र्स एंड एसेसमेंट, इवेल्युएशन ऑफ जनरल इंसिडेंट सीन आदि. कुशल पैरामेडिकल प्रोफेशनल्स की मांग भारत ही नहीं, बल्कि अमेरिका, कनाडा, यूके, यूएई जैसे देशों में भी है. पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट पैरामेडिसिन में डिग्री-डिप्लोमा स्तर के कोर्स ऑफर करते हैं, जिसमें पत्राचार या नियमित कोर्स दोनों के विकल्प उपलब्ध होते हैं. कुछ प्रचलित कोर्सेज हैं

बीसीईसीईबी द्वारा यह परीक्षा बिहार के विभिन्न पॉलीटेक्निक संस्थानों में अलग-अलग डिप्लोमा कोर्सेस में प्रवेश के लिए ली जाती है. इसके जरिए पॉलीटेक्निक इंजीनियरिंग, पार्ट टाइम पॉलीटेक्निक इंजीनियरिंग, पैरामेडिकल, पैरा मेडिकल-डेंटल मैट्रिक लेवल जैसे डिप्लोमा कोर्सेस में एडमिशन मिलता है.