साइबर क्राइम का नाम आपने गाहे-बगाहे सुना होगा. लेकिन क्या आपको ये पता है कि साइबर क्राइम के क्षेत्र में बहुत से ऐसे जॉब हैं जिनसे आपका करियर संवर सकता है. अगर नहीं सुना तो हम आपको बताएंगे.

लॉकडाउन के समय जब अधिकांश बैंकों ने अपनी सेवाओं को व्हाट्सएप पर शुरू किया तो साइबर क्राइम के मामले सामने आने लगे. साइबर क्राइम के तहत क्रिमिनल नए तौर-तरीकों से लोगों को ठग रहे हैं, उनका पैसा जब्त कर रहे हैं. साइबर क्राइम इसलिए भी बढ़ गया है क्योंकि आज लगभग हर पेशे में इंटरनेट का दखल है. अधिकांश सेवाएं डिजिटल हो गई हैं. बैंकिंग, फाइनेंस से जुड़े लगभग सभी काम इंटरनेट पर किए जाते हैं.

साइबर लॉ की जरूरत?

हम जितनी तेजी से डिजिटल हुए हैं, उतनी ही तेजी से साइबर हमलों के मामले सामने आते हैं. इसलिए तमाम सरकारी और निजी कंपनियां इन खतरों से बचने के लिए साइबर क्राइम के विशेषज्ञों की सेवाएं ले रही हैं. साइबर अपराधों में किसी व्यक्ति की बैंक डिटेल निकालना, साइबर टेररिज्म और वायरस अटैक जैसे मामले सबसे आम हैं. इन जोखिम से निपटने के लिए साइबर लॉ के विशेषज्ञ की जरूरत पड़ती है

ये विशेषज्ञ किसी व्यक्ति, कंपनी या सरकार के साथ होने वाले साइबर क्राइम के मामलों को सुलझाते हैं. इन्हें इंटरनेट एक्टिविटीज की अच्छी समझ होती है. साथ में क्रिप्टोकरंसी, साइबर सिक्योरिटी सहित कई नई टेक्नोलॉजी की गहरी जानकारी भी होना जरूरी होता है. इसलिए साइबर लॉयर के लिए कंप्यूटर साइंस और तकनीकों की समझ होना उसे औरों से आगे रखेगा.

कुछ प्रमुख कोर्स

साइबर लॉ में कोई ऑनलाइन और ऑफलाइन कोर्स कराए जाते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं

● डिप्लोमा इन साइबर लॉ
● पोस्ट ग्रेजुएट सर्टिफिकेट इन साइबर लॉ
● बीए एलएलबी ( साइबर लॉ स्पेशलाइजेशन के साथ)
● एलएलएम इन साइबर लॉ
● एलएलएम इन साइबर लॉ एंड साइबर सिक्योरिटी
● मास्टर ऑफ साइबर लॉ
● बीटेक इन कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनिरिंग+ एलएलबी( ऑनर्स) साइबर लॉ में स्पेशलाइजेशन के साथ

यहां एक बात आपको बता दें कि एलएलबी से ग्रेजुएशन करने वाले लोगों को इस क्षेत्र में सहूलियत होती है. एलएलबी करने के बाद साइबर लॉ के पोस्ट ग्रेजुएट स्तर के किसी कोर्स में दाखिला पाना आसान होता है. इन कोर्स में दाखिला प्रवेश परीक्षाओं या मेरिट लिस्ट के आधार पर होता है. गौरतलब है कि यदि कोई छात्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के ऐसे ही किसी कोर्स में दाखिला लेना चाहता है तो उसे क्लेट ( CLAT) या आयलेट (AILET) जैसे एंट्रेंस एग्जाम को पास करना होगा.

सम्भावनाये-

साइबर लॉयर- इंटरनेट के जरिये होने वाले अपराधों को सुलझाने के लिए इनकी सेवाएं ली जाती हैं. इन्हें किसी निजी संस्थान, कानूनी संस्था या फिर बिजनेस समूहों में होने वाले साइबर अपराधों को हल करना होता है.

साइबर अस्सिटेंट- ये पेशेवर साइबर सिक्योरिटी से जुड़ी खामियों को पहचानते हैं और उन्हें हल करने का काम करते हैं. वह मौजूदा हालात का आकलन कर सिक्योरिटी को बेहतर बनाने का काम करते हैं.

साइबर लीगल एडवाइजर/ साइबर कंसलटेंट- ये पेशेवर साइबर अपराधों से जुड़े मसलों पर कानूनी सलाह देते हैं. इन पेशेवरों को नेटवर्क सिक्योरिटी के साथ कंप्यूटर नेटवर्किंग प्रोटोकॉल की अच्छी समझ होनी चाहिए.

साइबर लॉ एक्सपर्ट- ये पेशेवर संस्थानों के साथ काम करते हुए उनके कंप्यूटर इनफार्मेशन सिस्टम को सुरक्षित बनाए रखते हैं. ये तय करते हैं कि कंपनी के किन लोगों के पास किस तरह की जानकारी और अनुमति होनी चाहिए. ये संस्थानों के कंप्यूटर सिस्टम की सिक्योरिटी को लेकर योजनाएं बनाते हैं और उनके लिए बेहतर इन्फॉर्मेशन सिक्योरिटी प्रोग्राम लागू करते हैं.

साइबर लॉ-लेक्चरर- साइबर लॉ का अस्सिटेंट प्रोफेसर या लेक्चरर बनने के लिए साइबर लॉ की गहरी समझ होने के साथ-साथ इससे संबंधित कोर्सेज पढ़ाने का तजुर्बा भी होना चाहिए.

क्या होती है चुनौती?

बावजूद इसके कि इस क्षेत्र में बहुत सी संभावनाएं हैं और सैलरी भी बेहतर है. इस क्षेत्र के लिए काफी धैर्य की मांग होती है. रिसर्च और काम के सिलसिले में लंबे समय तक लगे रहना पड़ता है.

प्रमुख संस्थान-

नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी, बैंगलुरु

नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, दिल्ली

नलसार यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ, हैदराबाद

सिम्बोयसिस लॉ स्कूल, नोएडा

नेशनल लॉ इंस्टीटूट यूनिवर्सिटी, भोपाल

आईआईआईटी, इलाहाबाद

कैसा होगा वेतन

इस क्षेत्र में शुरुआत में युवा 3.5 लाख प्रति वर्ष कमा लेते हैं. सीनियर स्तर पर यदि पोस्टेड हों तो 12 लाख प्रति वर्ष की आमदनी रहती है.

वहीं बतौर इस क्षेत्र में लीगल एडवाइजर को शुरुआत में ही सलाना 5 लाख रुपये के आसपास वेतन मिलने लगता है.