आज के इस ब्लॉग में हम पुस्तकालय के बारे में बात करेंगे। पुस्तकालय जिसका अंग्रेजी रूपांतर लाइब्रेरी है। ये दो शब्दों से मिलकर बना है पुस्तक + आलय। पुस्तक अर्थात पत्र, पत्रिका, किताबें आदि तमाम चीज़ें जो जानकारी का स्त्रोत हों।

पुस्तकालय का इतिहास

1713 ई. में अमरीका के फिलाडेलफिया नगर में सबसे पहले चंदे से चलनेवाले एक सार्वजनिक पुस्तकालय की स्थापना हुई। लाइब्रेरी ऑव कांग्रेस अमरीका का सबसे बड़ा पुस्तकालय है। इसकी स्थापना वाशिंगटन में सन्‌ 1800 में हुई थी। इसमें ग्रंथों की संख्या साढ़े तीन करोड़ है।

अमरीकन पुस्तकालय संघ की स्थापना 1876 में हुई थी और इसकी स्थापना के पश्चात्‌ पुस्तकालयों, मुख्यत: सार्वजनिक पुस्तकालयों, का विकास अमरीका में तीव्र गति से होने लगा। सार्वजनिक पुस्तकालय कानून सन्‌ 1849 में पास हुआ था और शायद न्यू हैंपशायर अमरीका का पहला राज्य था जिसने इस कानून को सबसे पहले कार्यान्वित किया। अमरीका के प्रत्येक राज्य में एक राजकीय पुस्तकालय है।

सन्‌ 1885 में न्यूयार्क नगर में एक बालपुस्तकालय स्थापित हुआ। धीरे-धीरे प्रत्येक सार्वजनिक पुस्तकालय में बालविभागों का गठन किया गया। स्कूल पुस्तकालयों का विकास भी अमरीका में 20वीं शताब्दी में ही प्रारंभ हुआ। पुस्तकों के अतिरिक्त ज्ञानवर्धक फिल्में, ग्रामोफोन रेकार्ड एवं नवीनतम आधुनिक सामग्री यहाँ विद्यार्थियों के उपयोग के लिए रहती है।

भारत में पुस्तकालय का उदय

भारत का सबसे बड़ा पुस्तकालय कोलकाता में है। इस पुस्तकालय की स्थापना श्री जे. एच. स्टाकलर के प्रयत्न से 1836 ई. में कलकत्ता में हुई। इसमें करीब 20 लाख पुस्तक है। इसका संचालन राज्य सरकार करती है।

यूनेस्को और भारत सरकार के संयुक्त प्रयास से स्थापित दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी का उद्घाटन स्वर्गीय जवाहरलाल नेहरू ने 27 अक्टूबर 1951 को किया। 15 वर्ष की इस अल्प अवधि में इस पुस्तकालय ने अभूतपूर्व उन्नति की है। इसमें ग्रंथों की संख्या लगभग चार लाख है। नगर के विभिन्न भागों में इसकी शाखाएँ खोल दी गई है।

पुस्तकालय के फायदे-

किसी भी पढ़ने वाले व्यक्ति के लिये पुस्तकालय किसी स्वर्ग से कम नहीं है। पुस्तकालय को स्वर्ग इसलिये भी कहा गया है क्योंकि यहाँ पठन-पाठन की क्रिया के लिये पर्याप्त शांति रहती है। किसी एक विषय पर सैंकड़ों किताब मुफ्त में मिल जाती है।

भारत के ऐसा देश है जहाँ एक बड़ा पाठक वर्ग गरीब है और महंगी किताबें नहीं खरीद सकता। इस लिहाज़ से भी पुस्तकालय का होना जरूरी है। लेकिन भारत में पुस्तकालय का विकास धीमी गति से हुआ। 17वीं शताब्दी के शुरूआत से ही इंग्लैंड और संयुक्त राज्य में पब्लिक लाइब्रेरी का विस्तार होने लगा। लेकिन भारत में आज भी कुछ ही गांव हैं जहाँ पुस्तकालय है।